
सन्दर्भ : रामायण मेला ! ...मंच पर विद्वान विराजें या राजनेता सवाल तो यही था और जवाब भी वही था __भाई ! मंच तो आपने विद्वान के लिए सजाया था ...पर... प्रधानमंत्री मोरारजी मंचासीन थे और महादेवी जी और हम जैसे बहुत सारे विद्वान् ...मंच से नीचे खड़े-खड़े ...टुकुर-टुकुर देख रहे थे._क्या यही डॉ राम मनोहर लोहिया की संकल्पना थी ?_डॉ राम मनोहर लोहिया ने तो पं.जवाहर लाल नेहरू तक से कह दिया था _मेले में जवाहर लाल बनकर आना होगा__प्रधानमंत्री के रूप में नहीं ! __मामला सन १९७७-७८ का है__जनता पार्टी की सरकार थी__राजनारायण परम लोहिया-भक्त थे और रामायण मेला में खासे साक्रिय...! पहले डॉ लोहिया रामायण मेला ...सन १९६०-६१ के आसपास आयोजित करना चाहते थे ...तब नेहरू जी ने मेले मैं आने की हामी भरी थी ...पर तब रामायण मेला हो नहीं सका ...बाद मैं मेला १९७० से शुरू हो सका
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